Neeraj k pawan biography of michael
लोकप्रियता के साथ विवादों में भी नाता : IAS नीरज के. पवन, भ्रष्टाचार के मामले में अब बढेंगी मुश्किलें
जयपुर : राजस्थान कैडर के सीनियर आईएएस नीरज के. पवन की मुश्किलें अब बढ़ने वाली है। 6 साल पुराने भ्रष्टाचार के एक मामले में अब केंद्र सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। नीरज के.Dona oxford biography podcastगुर्जर आंदोलन के दौरान आए सुर्खियों में
आईएएस नीरज के पवन गुर्जर आंदोलन के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए थे। प्रदेश में कई महीनों तक चले उग्र आंदोलन को शांत करने और गुर्जर प्रतिनिधियों और सरकार के साथ समझौता वार्ता के लिए मुख्य भूमिका निभाने के कारण वे चर्चाओं में आ गए थे। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के शासन के दौरान प्रदेश में गुर्जर समाज की ओर से आरक्षण के लिए उग्र आंदोलन किया गया। हाईवे और ट्रेने जाम कर दी गई थी। इस आंदोलन को शांत करने में मुख्य भूमिका निभाने के कारण वे सरकार के पसंदीदा अफसर की गिनती में शामिल हो गए।
कॉमन मैन की तरह सबसे मिलते हैं नीरज के पवन
आईएएस अफसर होने के बाद कई अफसरों का लाइफस्टाइल बदल जाता है। वे हर किसी से सीधे नहीं मिलते लेकिन नीरज के पवन अन्य अफसरों से हटकर थे। वे हर व्यक्ति से मिलते। बैठकर उनकी बात सुनते और तुरंत मदद करने के लिए एक्शन भी लेते थे। एक कॉमन मैन के साथ कॉमन मैन की तरह रहने वाले नीरज के पवन सरकार में मंत्रियों और मुख्यमंत्री के भी नजदीकी रहे। वे मूल रूप से झालावाड़ के रहने वाले हैं और वर्ष 2003 बैच के आईएएस अफसर हैं।
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चार जिलों में कलेक्टर और दो संभागों में आयुक्त
विभिन्न उपखंडों में एसडीएम रहने के बाद वे पहली बार डूंगरपुर जिले के कलेक्टर बने। बाद में करौली जैसे संवेदनशील जिले में भी कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट रहे। पाली के बाद भरतपुर जैसे बड़े जिले में भी कलेक्टर रहे। सरकार के चहेते होने के चलते वे राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। प्रमोशन होने के बाद पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने नीरज के पवन को बीकानेर जैसे बड़े संभाग का आयुक्त बनाया। पिछले दिनों नवगठित बांसवाड़ा संभाग का संभागीय आयुक्त बनाया गया।
पवन वर्तमान में नवगठित संभाग बांसवाड़ा के संभागीय आयुक्त हैं। मुकदमा चलने पर अब उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। हालांकि अब तक वे हर पार्टी की सरकार में प्राइम पदों पर रहे हैं। वे कांग्रेस और भाजपा दोनों ही शासन के समय लोकप्रिय अफसरों में रहे हैं।
गुर्जर आंदोलन के दौरान आए सुर्खियों में
आईएएस नीरज के पवन गुर्जर आंदोलन के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए थे। प्रदेश में कई महीनों तक चले उग्र आंदोलन को शांत करने और गुर्जर प्रतिनिधियों और सरकार के साथ समझौता वार्ता के लिए मुख्य भूमिका निभाने के कारण वे चर्चाओं में आ गए थे। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के शासन के दौरान प्रदेश में गुर्जर समाज की ओर से आरक्षण के लिए उग्र आंदोलन किया गया। हाईवे और ट्रेने जाम कर दी गई थी। इस आंदोलन को शांत करने में मुख्य भूमिका निभाने के कारण वे सरकार के पसंदीदा अफसर की गिनती में शामिल हो गए।कॉमन मैन की तरह सबसे मिलते हैं नीरज के पवन
आईएएस अफसर होने के बाद कई अफसरों का लाइफस्टाइल बदल जाता है। वे हर किसी से सीधे नहीं मिलते लेकिन नीरज के पवन अन्य अफसरों से हटकर थे। वे हर व्यक्ति से मिलते। बैठकर उनकी बात सुनते और तुरंत मदद करने के लिए एक्शन भी लेते थे। एक कॉमन मैन के साथ कॉमन मैन की तरह रहने वाले नीरज के पवन सरकार में मंत्रियों और मुख्यमंत्री के भी नजदीकी रहे। वे मूल रूप से झालावाड़ के रहने वाले हैं और वर्ष 2003 बैच के आईएएस अफसर हैं।इन 8 IAS अफसरों का बार-बार हो रहे ट्रांसफर, क्या लोकसभा से पहले सियासी सजावट में जुटी भजन सरकार?
चार जिलों में कलेक्टर और दो संभागों में आयुक्त
विभिन्न उपखंडों में एसडीएम रहने के बाद वे पहली बार डूंगरपुर जिले के कलेक्टर बने। बाद में करौली जैसे संवेदनशील जिले में भी कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट रहे। पाली के बाद भरतपुर जैसे बड़े जिले में भी कलेक्टर रहे। सरकार के चहेते होने के चलते वे राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। प्रमोशन होने के बाद पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने नीरज के पवन को बीकानेर जैसे बड़े संभाग का आयुक्त बनाया। पिछले दिनों नवगठित बांसवाड़ा संभाग का संभागीय आयुक्त बनाया गया।भ्रष्टाचार के मामले में जेल भी गए
लोकप्रियता में आगे रहने वाले नीरज के पवन भ्रष्टाचार के मामलों में विवादित भी रहे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में परियोजना निदेशक रहते समय वर्ष 2016 में उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी ने स्वास्थ्य विभाग से एक दलाल अजीत सोनी और लेखाधिकारी दीपा गुप्ता और लिपिक जोजी वर्गीज को गिरफ्तार किया। कुछ ही दिनों बाद नीरज के.पवन को भी गिरफ्तार किया गया था। भ्रष्टाचार के मामले में नीरज के पवन कई महीनों तक जेल में है। करीब दो साल तक वे एपीओ भी रहे।